Kamika Ekadashi 2024: कामिका एकादशी पर पढ़ें ये खास कथा, भगवान विष्णु करेंगे सभी इच्छा पूरी
Kamika Ekadashi 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है.
Kamika Ekadashi 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी का व्रत रखा जाता है. कामिका एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यताओं के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति पूरी विधिपूर्वक यह व्रत करता है तो उसे जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
इस दिन किए पूजन से पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है. इस शुभ एकादशी के दिन किया गया किसी भी प्रकार का दान-पुण्य जीवन के कष्टों को दूर कर मोक्ष के द्वार खोलता है. इस दिन एकादशी की कथा भी सुननी चाहिए.
कामिका एकादशी की कथा (Kamika Ekadashi Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में एक ठाकुर रहता था और वह बड़ा ही नेक दिल का था लेकिन उसका स्वभाव काफी क्रोधित था. वह छोटी-छोटी बातों पर क्रोधित हो जाता है जिसके चलते हर रोज उसकी किसी न किसी से लड़ाई झगड़ा व मारपीट होती रहती थी. अपनी इसी स्वभाव के कारण एक दिन ठाकुर की लड़ाई एक ब्राह्मण से हो गई. ठाकुर अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं कर सका और उसने हाथापाई के दौरान एक ब्राह्मण की हत्या कर दी. इस कारण ठाकुर पर ब्रह्महत्या का दोष लग गया. ठाकुर को अपनी गलती का एहसास हुआ और इसका प्रायश्चित करने के लिए उसने ब्राह्मण के दाह संस्कार में शामिल होना चाहा लेकिन पंडितों ने उसे ब्राह्मण की क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया. ब्राह्मणों ने ठाकुर से कहा कि तुम ब्राह्मण की हत्या के दोषी हो. इस कारण उसे धार्मिक और सामाजिक कार्यों से भी बहिष्कार कर दिया गया.
इन सभी कारणों से परेशान होकर ठाकुर ने ब्राह्मणों से पूछा कि कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे वे इस दोष से मुक्ति पा लें. तब ब्राह्मणों ने ठाकुर को कामिका एकादशी व्रत के बारे में बताया. ठाकुर ने सावन माह की कामिका एकादशी का व्रत रखा और पूरे विधि-विधान से इसका पालन किया. एक दिन ठाकुर को नींद में भगवान श्री हरि विष्णु के दर्शन हुए. भगवान विष्णु ने ठाकुर से कहा कि उसे इस पाप से मुक्ति मिल गई है. इस घटना के बाद से ही कामिका एकादशी का व्रत रखा जाने लगा.
कामिका एकादशी पूजन विधि (Kamika Ekadashi Pujan Vidhi)
प्रातःकाल उठकर स्नान आदि करें और पूजा से पहले भगवान विष्णु के व्रत का संकल्प लें. अपने घर के मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई करें और वहां एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद पूजा की शुरुआत करें. इस पूजा में भगवान विष्णु को फल-फूल, तिल, दूध, पंचामृत, इत्यादि अवश्य चढ़ाएं. फिर भगवान के सामने देसी घी का दीपक जलाकर व्रत कथा पढ़ना शुरू करें.
व्रत के दिन भगवान विष्णु के नाम का जप करें और भजन-कीर्तन करें. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बेहद फलदायी बताया गया है. पूजा के पश्चात भगवान को माखन मिश्री का भोग लगाएं और अंत में आरती के साथ पूजा का समापन करें. एकादशी के अगले दिन यानि द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान अवश्य दें इसके बाद ही भोजन करें.
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